मेरी पाठशाला का स्नेह-संमेलन हिंदी निबंध Annual Day Celebration in your School Essay in Hindi

Annual Day Celebration in your School Essay in Hindi: दिनांक ९, १० और ११ जनवरी को मेरी पाठशाला में बड़ी धूमधाम से स्नेह-संमेलन मनाया गया। पाठशाला की सफाई की गई और दीवारों तथा कमरों को सजाया गया। मेजों और कुर्सियों पर वार्निश लगाई गई। सारा भवन बिजली के तोरणों, फूलों की मालाओं और पताकाओं के कारण बड़ा मनोहर लगता था। पाठशाला के प्रवेशद्वार की शोभा अनोखी थी।

मेरी पाठशाला का स्नेह-संमेलन पर हिंदी में निबंध Annual Day Celebration in your School Essay in Hindi

मेरी पाठशाला का स्नेह-संमेलन पर हिंदी में निबंध Annual Day Celebration in your School Essay in Hindi

विविध कार्यक्रम

स्नेह-संमेलन का प्रारंभ खेल की प्रतियोगिताओं से हुआ। सर्वप्रथम १०० मीटर की दौड़ प्रारंभ हुई। अच्छे-अच्छे खिलाड़ी दौड़ में पीछे रह गए और सबसे छोटा राममोहन बाजी मार गया। फिर धीरे और तेज साइकिल चलाने की स्पर्धा हुई। धीरे साइकिल चलाने के प्रयास में कई खिलाड़ी गिर पड़े। दर्शकों में आनंद की लहर दौड़ गई। फिर बच्चों की कुर्सी-दौड़ और जिलेबी-दौड़ हुई। ऊंची कूद, लंबी कूद और गोला-फेंक आदि प्रतियोगिताएँ बहुत दिलचस्प रहीं। कबड्डी और रस्साकसी की प्रतियोगिताओं ने लोगों के दिल पर जादू कर दिया।

प्रतियोगिताएँ

दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत वादविवाद प्रतियोगिता से हुई । वादविवाद का विषय था, ‘परिक्षाएँ होनी चाहिए या नहीं?’ पाठशाला के सबसे शरारती विद्यार्थी रामचंद्र पाठक की निराली वक्तृत्व-शक्ति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हॉल में बार-बार तालियाँ बजती रहीं। दोपहर को निबंध-स्पर्धा और शाम को कवि-संमेलन का कार्यक्रम रखा गया था। मैं भी निबंध स्पर्धा में शामिल हुआ। कवि-संमेलन में हिंदी के कई प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया। नीरजजी ने अध्यक्षपद सुशोभित किया। शहर के सभी प्रतिष्ठित सज्जन हमारी पाठशाला में पधारे । कवि-संमेलन पूरी तरह सफल रहा।

नाटक पुरस्कार वितरण आदि

स्नेह-संमेलन के अंतिम दिन महाकवि कालिदास की अमर कृति ‘अभिज्ञान शाकुंतल’ के चतुर्थ अंक का अभिनय किया गया। सभी दर्शक भावविभोर हो उठे। फिर शिक्षामंत्री के हाथों चित्रप्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ। चित्र-प्रदर्शनी में प्रकृति, इतिहास, भूगोल, साहित्य आदि से संबंधित कई मनोहर चित्र रखे गए थे। लोगों ने इस प्रदर्शनी को बड़े चाव से देखा और उसकी बहुत प्रशंसा की। इसके बाद नगरपालिका के अध्यक्ष के हाथों विजेताओं को पुरस्कार दिए गए। अंत में हमारे प्रधानाचार्यजी ने आभार-प्रदर्शन किया और कार्यक्रम के साथ स्नेह-संमेलन का कार्यक्रम पूरा हुआ।

उत्सव का महत्त्व

इस प्रकार हमारे स्कूल का वार्षिकोत्सव बड़ी शान से मनाया गया। इस उत्सव से सभी छात्रों और अध्यापकों में उत्साह की लहर दौड़ गई। नए साल के लिए उनके हौसले बढ़ गए। कई दिनों तक हम अपने इस स्नेह-संमेलन की चर्चा करते रहे।


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