यदि मैं कवि होता हिंदी निबंध Essay on If I were a Poet in Hindi

Essay on If I were a Poet in Hindi: मनुष्य के जीवन में घटनाएँ और प्रसंग तो नित्य होते ही रहने हैं। इन्हीं में से कोई प्रसंग ऐसा भी होता है, जो दिल पर गहरा असर डाल जाता है। ऐसा ही एक प्रसंग था जब मैंने एक कवि संमेलन में राष्ट्रकवि दिनकर के मुख से उनकी कविता सुनी । उनकी वाणी में भावनाओं की जोशीली अभिव्यक्ति थी। सुननेवाले जिस ढंग से उनकी कविता पर मुग्ध होकर उन्हें दाद दे रहे थे उसे देखकर मुझे लगा, काश! मैं भी कवि होता !

यदि मैं कवि होता हिंदी निबंध Essay on If I were a Poet in Hindi

यदि मैं कवि होता हिंदी निबंध Essay on If I were a Poet in Hindi

काव्य-साधना

सचमुच, यदि मैं कवि होता तो मेरी कविता साधारण नहीं होती। मैं सच्ची लगन से काव्य-साधना करता। मेरी कविता में केवल शब्दों की जादूगरी नहीं होती, किंतु उसमें दिल को छूने की ताकत होती । एक अच्छा कवि बनने के लिए साहित्यशास्त्र का गहरा अध्ययन जरूरी है। मैं हिंदी और अन्य भाषाओं के भारतीय कवियों की विविध रचनाओं का गहराई से अध्ययन करता। उनकी विशेषताओं को ग्रहण करने की कोशिश करता। इसी के साथ में देश-विदेश के महाकवियों की रचनाओं का भी अध्ययन करता। मैं वाल्मीकि, कालिदास, तुलसीदास, शेक्सपियर जैसे महाकवियों की रचनाओं को पढ़कर उनसे प्रेरणा पाता। मैं अपने देश और समाज की पुकार सुनता और उसीके अनुसार अपनी कविता में रंग भरता।

मेरी कविता का लक्ष्य

मेरी कविताओं में इन्सान को सही इन्सान बनाने की भावना होती । मैं प्रकृति, सौदर्य, प्रेम, साहस, देशभक्ति, मानवता आदि सभी विषयों के गीत गाता । इस बात का मैं विशेष ध्यान रखता कि मेरी कविता में सच्चाई और स्वाभाविकता हो, उसे पढ़कर लोग प्रभावित हों । वह उनके दिल को छू ले । वे उन गलत बातों को छोड़ दें, जिनसे समाज में भेदभाव और बुराइयाँ पैदा होती हैं । मेरी यह पूरी कोशिश होती कि मेरी कविता वही काम करे जो भूषण के छंदों ने, तुलसी की रामायण ने और मैथिलीशरण गुप्त के काव्यों ने किया है।

प्रलोभनों से बचना

मैं अपनी ‘कलम’ को ही अपना सच्चा धन मानता। मैं कीर्ति पाने का प्रयल जरूर करता, लेकिन उसके पीछे दीवाना न बनता। मेरे जीवन का लक्ष्य समृद्धि पा लेना या अमीर बनना भी न होता । मैं अपने ईमान-धरम को किसी भी कीमत पर नहीं बेचता और न मैं किसी ताकत के सामने झुककर अपने मानवसेवा के आदर्श से पीछे हटता । कवि के रूप में दलबंदी, प्रांतीयता या ऐसे किसी भी संकुचितता से मैं कोसों दूर रहता । मैं मानवता और देश का सच्चा पुजारी बनने की कोशिश करता।

कवि के रूप में धन्यता का अनुभव

इस तरह एक कवि के रूप में जो यश मुझे मिलता उसे ही मैं अपना धन समझता । मैं यह कभी न भूलता कि मेरी कविता को दानवता से लड़ना है और मानवता की रक्षा करनी है; इस नीरस ‘मानव-जीवन को सरस बनाना है।

काश, यदि मैं कवि होता!

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