Importance of Voting Essay in Hindi: जनतंत्र भारतवर्ष में हर पाँच वर्ष पर आम चुनाव होता है। अठारह वर्ष की उम्र के प्रत्येक भारतीय को मत देने का अधिकार है। पिछले साल फरवरी में भारत में आम चुनाव हुआ था। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जनता पार्टी आदि पक्षों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए सभाओं, जुलूसों, पोस्टरों आदि द्वारा जोरदार प्रचार किया था।
मतदान केंद्र पर दो घंटे पर हिंदी में निबंध Importance of Voting Essay in Hindi
चुनाव के दिन सुबह से चहल-पहल और हलचल दिखाई पड़ने लगी। ठीक आठ बजते ही मतदान शुरू हो गया। लोग मतदान के लिए मतदान केंद्रों की ओर जाते हुए नजर आने लगे। दोपहर के आराम के बाद शाम को करीब चार बजे मैं भी अपने घर के समीप के मतदान केंद्र पर जा पहुँचा।
मतदान केंद्र का दृश्य
मतदान केंद्र से कुछ दूरी पर स्वयंसेवक अपने-अपने पक्ष के चुनाव संबंधी कार्यों में जुटे हुए थे। अलग-अलग पक्षों की ध्वजाएँ लहरा रही थीं। जगह-जगह भिन्न-भिन्न पार्टियों के चुनाव चिह्न भी दिखाई दे रहे थे। सारा वातावरण उत्साह और उल्लास से भरा हुआ था।
ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, त्यों त्यों मतदाताओं की कतारें लंबी-लंबी होती गई । मतदान के लिए कुछ मुस्लिम महिलाएँ बुरका पहनकर आई थीं। कुछ बूढ़े और बीमार व्यक्ति ताँगो में बैठकर आए थे। कतार में सूट पहने बाबू लोग थे और घुटनों तक धोती पहने मजदूर भी खड़े थे। मतदान केंद्र से थोड़ी दूर पर ताँगों, रिक्शों और टैक्सियों का तांता लगा हुआ था। कुछ भेल-पूड़ीवाले, खोमचेवाले और फेरीवाले भी अपने अपने खोमचे लेकर सड़क के किनारे खड़े थे। पुलिस का कड़ा इंतजाम था और प्रचार पर पूरी रोक थी।
मतदान-विधि
मैंने देखा कि बारी-बारी से पाँच-पाँच मतदाताओं को मतदान केंद्र में दाखिल किया जाता था। प्रत्येक मतदाता अपना क्रमांक बताकर मतपत्र प्राप्त करता, मतदान केंद्र के भीतर एकांत केबिन में जाता और अपनी पसंद के उम्मीदवार को मत देता । मतदान के लिए जाते समय अँगूठे के पास की तर्जनी अंगुली पर पक्की स्याही का निशान लगा दिया जाता था। देखते ही देखते डेढ़ घंटा बीत गया। केवल आधा घंटा ही बाकी रहा । उस समय कहीं-कहीं मतदान केंद्र के आसपास लोगों को भीड़ जमा हो जाती तो पुलिस फौरन उसे बिखेर देती थी। शाम के छ: बज गए। मतदान का समय पूरा होने के बाद भी कुछ मतदाता आए, लेकिन बेचारों को उलटे पाँव लौट जाना पड़ा। धीरे-धीरे मतदान केंद्र के आसपास से लोग बिखरने लगे। थोड़ी ही देर में सारा वातावरण शांत और सूना हो गया। चुनाव का वह दिन कितना जल्दी बीत गया !
मत का मूल्य
मैं भी धीरे-धीरे घर की ओर लौटा। मतदान केंद्र की चहल-पहल ने मुझमें मानो नई जाग्रति का संचार कर दिया था। मतदान केंद्र पर मैंने जाग्रत जनता की शक्ति को मूर्तरूप में देखा और मुझे मतदान के मूल्य का प्रत्यक्ष ज्ञान हुआ।