आज का विद्यार्थी हिंदी निबंध Today’s Student Essay in Hindi

Today’s Student Essay in Hindi: विद्यार्थी-जीवन मनुष्यजीवन का स्वर्णकाल माना जाता है। यह समय भावी जीवन की सफलता की आधारशिला है। पर, खेद की बात है कि आज का विद्यार्थी अपने इस महत्त्वपूर्ण जीवनकाल को महत्ता और पवित्रता को भूल गया है।

आज का विद्यार्थी हिंदी निबंध - Today's Student Essay in Hindi

आज का विद्यार्थी हिंदी निबंध Today’s Student Essay in Hindi

विद्यार्थी का मानसिक स्तर

आज के अधिकांश विद्यार्थियों में ज्ञानप्राप्ति के प्रति स्वाभाविक रुचि और जिज्ञासा का अभाव दिखाई देता है। उनमें न त्याग की भावना है, न तप करने की क्षमता है। वे शिक्षा को बोझ समझते हैं, किताबों को दुश्मन मानकर उनसे दूर भागना चाहते हैं । दिन-प्रतिदिन अध्ययन के प्रति उनकी दिलचस्पी कम होती जा रही है। आज का विद्यार्थी जब अपने निर्धारित पाठ्यक्रम की ही उपेक्षा करता है, तब उससे पाठ्येतर अध्ययन की क्या आशा की जा सकती है? आधुनिक विद्यार्थी का एकमात्र उद्देश्य अपेक्षित प्रश्नोत्तरों को रटने और जैसे-तैसे परीक्षा उत्तीर्ण करने तक ही सीमित होता जा रहा है।

शारीरिक दुर्बलता

प्राचीन विद्यार्थियों की भाँति आज का विद्यार्थी तेजस्वी और बलिष्ठ नहीं है। उसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है । आँखों पर ऐनक, पीला चेहरा, पिचके गाल और झुकी हुई कमर ! यही है, आज का दुर्बल-शरीर विद्यार्थी ! शरीरश्रम को वह बेवकूफी समझने लगा है। चाय की प्यालियाँ और विटामिन की गोलियाँ ही उसके जीवन का सहारा बन गई हैं।

अन्य दुर्गुण

आज के विद्यार्थी के लिए विनय, संयम, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन के आदर्श पुराने हो गए हैं। उसमें एकलव्य की गुरुभक्ति और अर्जुन की निष्ठा नहीं है। उसमें राम-लक्ष्मण की आज्ञाकारिता और अर्जुन की एकाग्रता भी नहीं है। गुरुजनों के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार करना उसके लिए स्वाभाविक हो गया है। वह अपने सारे व्यवहारों में स्वच्छंद हो गया है । वह आजकल उत्तेजक पदार्थों का सेवन भी करने लगा है। उथले साहित्य से उसे विशेष प्रेम है। सिनेमा या दूरदर्शन देखने के लिए रात का जागरण ही उसकी तपश्चर्या है। समय की पाबंदी से उसे कोई मतलब नहीं है। नखशिख टीमटाम और पोशाक की तड़क-भड़क में उसकी विशेष रुचि है। पिकनिक-पार्टी, धूम्रपान, सूटबूट और नाच-गान की विलासी छाया में ही वह पलता है।

उज्वल रूप

किंतु इसका यह मतलब नहीं है कि आज का विद्यार्थी हर तरह से पिछड़ा हुआ और दुर्बल है। यह तो सिक्के का एक ही पहलू है। आज के विद्यार्थी में अपार शक्ति भरी हुई है। आज अनेक विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो देश में अथवा विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विज्ञान, खेल कूद, चिकित्सा आदि अनेक क्षेत्रों में उन्होंने अपूर्व सिद्धियाँ पाई हैं। पर इनकी मात्रा दाल में नमक के बराबर ही है।

उपसंहार

सचमुच, आज के विद्यार्थी का जीवन काले-गोरे रंगो से चित्रित है।

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