यदि सिनेमा बंद हो जाएँ हिंदी निबंध If there were no Cinema Essay in Hindi

यदि सिनेमा बंद हो जाएँ हिंदी निबंध If there were no Cinema Essay in Hindi: सचमुच, सिनेमा जैसा मनोरंजन का सस्ता, सफल और सुंदर साधन और कोई नहीं है । सिनेमा हमारी सामाजिक बुराइयों को उसके यथार्थ रूप में पेश करता है, जिससे हमारा मन अपने आप उन बुराइयों को दूर करना चाहता है। नए विचार और नई संस्कृति के विकास में सिनेमा का बहुत बड़ा हाथ रहा है । यदि ऐसे उपयोगी सिनेमा सदा के लिए बंद हो जाएँ तो हम सभी पलभर के मनोरंजन से भी हाथ धो बैठे

यदि सिनेमा बंद हो जाएँ हिंदी निबंध If there were no Cinema Essay in Hindi

यदि सिनेमा बंद हो जाएँ हिंदी निबंध If there were no Cinema Essay in Hindi

शिक्षा का साधन

सिनेमा शिक्षा के लिए भी बड़ा ही उपयोगी सिद्ध हो रहा है । ज्ञान का तो यह भंडार है। अनपढ़ लोग अखबार नहीं पढ़ सकते, किंतु सिनेमा में भारतीय समाचारों को चित्रमय रूप में देखकर उन्हें आसानी से समझ सकते हैं। सिनेमा के द्वारा नृत्य, संगीत, अभिनय, कविता, फोटोग्राफी आदि कलाओं को बड़ा प्रोत्साहन मिलता है। यदि सिनेमा बंद हो जाएँ तो इतिहास की घटनाओं को सजीव रूप में कहाँ देख पाएँगे और इन सब कलाओं का एक साथ आनंद कहाँ से मिलेगा?

प्रचार और आमदनी: साधन

आज सिनेमा द्वारा गाँववालों को सफाई, खेती, पंचायत आदि के बारे में जानकारी दी जाती है। इनसे सरकार के कार्यों और योजनाओं का पता चलता है। गाँव के लोग सिनेमा द्वारा बड़ी आसानी से सबकुछ समझ सकते हैं। यदि सिनेमा न हो तो हमें प्रचार की यह सुविधा कैसे प्राप्त होती? राष्ट्रभाषा के प्रचार में भी सिनेमा का योगदान कम महत्वपूर्ण नहीं है। सिनेमा पर लगाए गए कर द्वारा सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपयों की आमदनी होती है। आज तो सिनेमा-उद्योग से कलाकार, लेखक, गायक, प्रचारक आदि का जीवननिर्वाह होता है। यदि सिनेमा बंद हो जाते तो सरकार की बड़ी भारी आमदनी बंद हो जाती और लाखों लोग बेकारी के शिकार हो जाते।

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सिनेमा से हानियाँ

सिनेमा से तरह-तरह के खर्चीले फैशन चल पड़े हैं, सभी ओर से युवकों के चारित्रिक पतन की शिकायतें सुनाई दे रही हैं, उसमें बहुत हद तक सिनेमा भी जिम्मेदार है। सिनेमा के अश्लील और हिंसात्मक दृश्यों, भद्दे गीतों और विकृत नृत्यों से छोटे-छोटे बच्चों में बुरे संस्कार पैदा हो रहे हैं। सिनेमा के लिए बच्चे पाठशालाओं से भागते हैं और घर में चोरी करते हैं । जासूसी फिल्में लोगों पर प्राय: बुरा प्रभाव डालती हैं। कुछ लोग सिनेमा देखने में पैसा पानी की तरह खर्च कर देते हैं। यदि सिनेमा बंद हो जाते तो लोगों में इतनी बुराइयाँ न पनपती।

उपसंहार

आजकल वीडियो और कैसेट प्लेयर उपलब्ध है, इसलिए सिनेमा बंद होने का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। फिर तो घर ही थिएटर बन जाएँगे। फिल्मों के कैसेटों के दाम बढ़ जाएँगे। इसके बावजूद वीडियो सिनेमा का स्थान नहीं ले सकता। सचमुच, यदि सिनेमा बंद हो जाएँ तो फिल्म उद्योग की जादूनगरी वीरान हो जाएगी और आम आदमी को मनोरंजन के जो थोड़े-से पल नसीब होते हैं, वे भी दुर्लभ हो जाएँगे।

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