Indian Farmer Essay in Hindi: किसान श्रम, सेवा और त्याग को साक्षात मूर्ति है। फटे-पुराने कपड़े, दुबला-पतला शरीर और नंगे पैर उसके दीन-हीन जीवन की कहानी सुनाते हैं। वह जगत्पिता कहा जाता है, फिर भी उसकी झोपड़ी में तो भूख और दरिद्रता का ही साम्राज्य रहता है।
भारतीय किसान हिंदी निबंध Indian Farmer Essay in Hindi
कार्य
किसान बड़े सबेरे हल-बल लेकर अपने खेत में चला जाता है और अपने कार्य में जुट जाता है। दोपहर तक लगातार वह परिश्रम करता है । भोजन और थोड़ा आराम करके वह काम में लगता है और शाम तक सख्त मेहनत करता है। वैशाख-जेठ की कड़ी धूप पड़ रही हो, तब भी किसान अपने प्यारे बगीचे (खेत) को अपने खून से ( पसीने से ) सींचता रहता है । भयंकर शीत में या दिल दहला देनेवाली बिजली की कड़कड़ाहट और वर्षा की झड़ियों में भी वह अपने काम में लगा रहता है। इस कठोर श्रम के बाद भी जब भाग्यदेवता उस पर प्रसन्न नहीं होती तो उसे मन मसोसकर रह जाना पड़ता है।
जीवन की झांकी
भारतीय किसान का रहन-सहन बड़ा सीधा-सादा और सरल होता है । एक छोटी-सी झोपड़ी में या मिट्टी के घर में वह अपने परिवार के साथ रहता है। उसे जीवनोपयोगी वस्तुएँ भी पर्याप्त मात्रा में नहीं प्राप्त होती, फिर भी वह संतोष से अपना जीवन बिताता है। उसके जीवन में आए दिन बदलते हुए फैशन का नाम तक नहीं होता । वह तो प्रकृति के पालने में ही पलता है। साहस और आत्मसम्मान की उसमें कमी नहीं। परिश्रम और सेवा का तो वह अवतार ही है। वह दानधर्म करने में कोई कसर उठा नहीं रखता। वह दिल खोलकर आतिथ्य करता है।
दोष
हमारे अधिकांश किसान अशिक्षित और अंधविश्वासी हैं । भूत-प्रेत और जादू-टोने पर उसका अटूट विश्वास रहता है । मृत्युभोज, बिवाह आदि में अपने खून की कमाई को पानी की तरह बहा देने में वह अपना गौरव समझता है, लकीर का फकीर जो टहरा । इस तरह बेशुमार खर्च करने के कारण वह प्रायः साहूकारों एवं जमींदारों के चंगुल में फँसा रहता है । ललितकलाओं और उद्योगों में रुचि न होने से वर्ष में चार मास तो वह हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। ताड़ी, भाँग, तंबाकू और शराब जैसी नशीली चीजों का सेवन करके कभी-कभी वह अपने सोने जैसे संसार में आग लगा देता है।
स्वतंत्रता और किसान
स्वतंत्रता के बाद भारतीय किसान का जीवन कुछ हद तक सुधरता जा रहा है। अब उसे खेती के नए तरीके सिखाए जा रहे हैं। सरकार भी उसको उत्तम बीज, रासायनिक खाद और मशीन खरीदने के लिए भरपूर सहायता दे रही है । उसे सेठ-साहूकारों और जमींदारों के पंजे से छुड़ाने की भी भरसक कोशिश हो रही है। ग्रामपंचायतों की स्थापना उसके जीवन को बड़ी तेजी से बदल रही है।
उपसंहार
सचमुच, कृषिप्रधान भारत में किसान का बड़ा महत्त्व है। जिस दिन किसान सुख से झूमेगा, उस दिन भारत का भाग्य मुस्कराएगा।