अजायबघर में एक घंटा हिंदी निबंध One Hour in Museum Essay in Hindi

One Hour in Museum Essay in Hindi: अजायबघर में एक-दो घंटे बिताना बड़ा ही ज्ञानप्रद और मनोरंजक है। पिछले वर्ष हम चार मित्र मुंबई गए थे। लौटने का दिन करीब आया तब हमें याद आया कि अजायबघर देखना तो भूल ही गए। बस, फिर क्या था? हमारे पास थोड़ा समय बचा था, हम शीघ्र ही मुंबई का प्रसिद्ध अजायबघर देखने निकल पड़े।

अजायबघर में एक घंटा पर निबंध One Hour in Museum Essay in Hindi

अजायबघर में एक घंटा हिंदी निबंध One Hour in Museum Essay in Hindi

अजायबघर का वर्णन

अजायबघर में कई अलग-अलग विभाग और कक्षा थे। उनमें भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएँ सजाकर रखी हुई थी। सभी वस्तुओं पर चिटें चिपकाई गई थीं। उन चिटों में वस्तु के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी संक्षेप में दी गई थी। शिल्पकला विभाग में तरह-तरह के पत्थरों से खुदी हुई देवी-देवताओं को असंख्य मूर्तियाँ थीं । वहाँ शेषशायी विष्णु और ध्यानमग्न भगवान बुद्ध की कई मूर्तियाँ थीं। तांडवनृत्य करते हुए शंकर की प्रतिमा इस विभाग की सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी। बरतनों के विभाग में विविध धातुओं से बने बरतन थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से बड़े ही मूल्यवान थे।

शिल्पकला विभाग

हथियारों के विभाग में अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्र देखकर हम आश्चर्यचकित हो गए। वहाँ प्राचीन युग के तीर, तलवार, तोप, कवच, शिरस्त्राण आदि शस्त्रास्त्र रखे हुए थे। साथ-साथ आधुनिक शस्त्र भी थे। इन्हें देखते ही हदय में उत्साह उमड़ आया और भारतवर्ष के वीर पुरुषों की याद आ गई।

पशु-पक्षियों का विभाग और अन्य दर्शनीय वस्तुए

पशु-पक्षियों के विभाग में शेर, चीते, भेड़िए जैसे भयानक प्राणियों के शव सजीव से लग रहे थे। पक्षियों के मृत शरीर अच्छे ढंग से सँवारकर रखे गए थे। छोटी-छोटी चिड़ियों से लेकर बड़े बड़े बाज और चील जैसे पक्षियों के शरीर ऐसे लग रहे थे मानो जीवित हों। ग्रामसुधार, पंचवर्षीय योजना आदि के नक्शे स्वतंत्र भारत की उज्ज्वल प्रगति की ओर संकेत कर रहे थे।

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शस्त्र विभाग

पुराने वस्त्रों का विभाग बड़ा ही सुंदर था। उन वस्त्रों में भारतीय वेशभूषा बड़े ही मोहक रूप से प्रतिबिंबित हो रही थीं। सिक्कों के विभाग में भारतीय और विदेशी सिक्के थे। कहाँ आज के नोट तथा पैसे और कहाँ प्राचीन काल के शुद्ध सोने और चाँदी के वे सिक्के ! उन विभागों के अतिरिक्त चित्र विभाग तथा अन्य विभाग भी बड़े दर्शनीय थे। चित्र विभाग में भिन्न-भिन्न शैलियों के चित्र चित्रकला के विकास पर प्रकाश डाल रहे थे।

महत्त्व

देखते ही देखते अजायबघर में एक घंटा बीत गया। सचमुच अजायबघर की हमारी इस मुलाकात से हमारे ज्ञान में अभिवृद्धि हुई और हमें बहुत आनंद भी हुआ।

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