हमारी पाठशाला का चपरासी हिंदी निबंध Our School Peon Essay in Hindi

Our School Peon Essay in Hindi: अनपढ़ और देहाती लोग भी कभी-कभी अपने गुणों के कारण हमारे प्रिय बन जाते हैं । हमारी पाठशाला का चपरासी सेवकराम भी एक ऐसा ही व्यक्ति है, जिसने अपनी सेवा और सद्व्यवहार से सभी को अपना बना लिया है।
हमारी पाठशाला का चपरासी हिंदी निबंध Our School Peon Essay in Hindi

हमारी पाठशाला का चपरासी हिंदी निबंध Our School Peon Essay in Hindi

चपरासी कैसे बना?

सेवकराम उत्तर प्रदेश का रहनेवाला एक गरीब आदमी है। कई साल तक बेचारे सेवकराम के खेत में अच्छी फसल नहीं हुई और उसके परिवार को जब रोटियों के लाले पड़ गए, तब वह अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आ पहुँचा । एक दिन अचानक उसकी भेंट हमारी पाठशाला के प्रधानाचार्यजी से हो गई। पाठशाला में एक चपरासी की जरूरत थी, इसलिए सेवकराम को पाठशाला में रख लिया गया।

कार्य

सेवकराम सबेरे आठ बजने के पहले ही पाठशाला के कार्यों में जुट जाता है । पाठशालासंबंधी सब प्रकार का काम बह करता है। ऑफिस में प्रधानाचार्यजी की घंटी बजते ही सेवकराम हाजिर हो जाता है। चाहे किसी लड़के को चोट आई हो; उसे अस्पताल पहुँचाना हो; चाहे रुपए बैंक से लाने या बैंक में जमा करने हो; या स्कूल के जरूरी कागजात अलमारी में रखने हों, सेवकराम सभी काम बड़े प्रसन्न मन से और कुशलतापूर्वक पूरे करता है। स्कूल का कोई ऐसा काम नहीं, जो सेवकराम को विश्वास के साथ न सौपा जा सके।

गुण

सेवकराम को जितने आदेश दिए जाते हैं, उन सबको वह बारी-बारी से पूरा करता है । हँसमुख तो वह शायद जन्म से ही है। प्रधानाचार्यजी ही नहीं, विद्यालय के सभी अध्यापक और विद्यार्थी उसे चाहते हैं । उसे पाठशाला में आए अभी छ: महीने भी नहीं हुए हैं, किंतु इस थोड़े समय में ही उसने सबका दिल जीत लिया है। उसने विज्ञान पढ़कर सफाई का महत्त्व तो नहीं सीखा, फिर भी उसकी पोशाक हमेशा साफ और बिना सलवट की रहती है । इतिहास की घटनाएँ तो उसे याद नहीं; किंतु उसके पास किस्से-कहाँनियों का बहुत बड़ा और दिलचस्प खजाना है। गाने-बजाने का भी वह शौकीन है । तबला बजाने में तो वह उस्ताद है। हमारे विद्यालय के पिछले वार्षिकोत्सव में उसने तबले की गमक पर सबकी वाह-वाह पाई थी।

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दोष

सबके प्यारे सेवकराम में यदि कोई दोष है तो पान और तंबाकू खाने का । पर इसके लिए वह बेचारा क्या करे? वह अपनी आदत से मजबूर जो है।

उपसंहार

सचमुच सेवकराम हमारे विद्यालय की शोभा है। उसका मुस्कराता हुआ चेहरा न जाने कितनों की उदासी दूर कर देता है । कुछ रुपयों के लिए उसे अपने प्यारे परिवार से कोसों दूर रहना पड़ता है और अपने स्वजनों का वियोग हदय में दबाकर अकेले जीना पड़ता है। पर ईश्वरभक्त सेवकराम तब भी अपनी सेवा की दुनिया में मस्त है। ईश्वर करे, उसकी इस मस्ती पर कोई आँच न आए।

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